आँख मारना, सीटी बजाना, आदि तो ठीक है, पर जीभ निकालने का काम तो बच्चे ही करते हैं अपने यहाँ, छेड़छाड़ की भाषा में तो नहीं गिना जाता है।
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आँख मारना, सीटी बजाना, आदि तो ठीक है, पर जीभ निकालने का काम तो बच्चे ही करते हैं अपने यहाँ, छेड़छाड़ की भाषा में तो नहीं गिना जाता है।
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एक चाँद के पीछे हैं मस्ताने कितने| [..]"-मानस खत्री चार पंक्तियाँ ही काफी मुक्तक अनजाने आँख मारना आवारा आसमान कहानी तारे दीवाने प्यार प्रेम मस्ताने मानस खत्री मोहब्बत युवा लड़की
आँख मारना, सीटी बजाना, आदि तो ठीक है, पर जीभ निकालने का काम तो बच्चे ही करते हैं अपने यहाँ, छेड़छाड़ की भाषा में तो नहीं गिना जाता है।
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” मनुस्य जाती मे दो पूरानी बुराइया है | एक ताने मारने और दूसरी आँख मारने की | पुरुस अगर ताने मरना और महिलाये आँख मारना बंद कर दे तो जीवन और समाज के आधे संघर्स ख़त्म हो जाये |
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सबसे क़ातिल था उसका मुस् किया के आँख मारना! एक बार इसी तरह आँख मारने पर उसने भी अग़ल-बग़ल देखकर उसे इसी तरह आँख मार दी थी मग़र तभी ज़ोरों का हल् ला हुआ था और डर के मारे उसके प्राण नहीं में समा गए थे।
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उदाहरण के लिए ' अँगारों पर लोटना ', ' आँख मारना ', ' आँखों में रात काटना ', ' आग से खेलना ', ' खून चूसना ', ' ठहाका लगाना ', ' शेर बनना ' आदि में लक्षणा शक्ति का प्रयोग हुआ है, इसीलिए वे मुहावरे हैं।